V.S Awasthi

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किसान की दशा




किसान की दशा( सपने टूट गए)
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कठिन परिश्रम जाड़ा गर्मी सह बीजों को बोया था।
बिन मौसम बारिश ने आकर मेरे सपनों को धोया था।।
पकी फसल तैयार खड़ी थी दिल में आश जगी थी।
इस बार अन्न खुब पैदा होगा आंखों की चमक बढ़ी थी।।
फ़सल बेच कर अपनी बिटिया की शादी भी कर देंगे।
खुब धूमधाम से शादी होगी पैसा खुब ख़र्च करेंगे।।
इतना दहेज़ देंगे बिटिया को ससुराली जन सब खुश होंगे।
फिर मेरी बिटिया रानी को ताने और कष्ट ना देंगे।।
पता नहीं था बिन मौसम बारिश भी कस कर होगी।
मेरे सपनों की उजली चादर को तार-तार कर देगी।।
टूट गए सपने सब मेरे अब आगे क्या होगा।
मेरी प्यारी बिटिया रानी का ब्याह कहां से होगा।।
क्वांरी रह जाएगी बेटी कैसे उसको समझाऊंगा।
बेटी मैं इस वर्ष तुम्हारा ब्याह ना कर पाऊंगा।।
लाडो का दिल टूट गया मां बेटी घर में सिसक रहीं।
दोनों के नयनों से झरने बहते एक दूजे के गले से लिपट रहीं।।
मैं बाप अभागा बेटी को डोली में बैठा ना सका।
परिवार में मातम छाया है शहनाई द्वारे बजवा ना सका।।
अब कौन मसीहा आयेगा जो बेटी से ब्याह करेगा।
बिन दहेज मेरी बेटी संग पाणीग्रहण करेगा।।
सपने जो मैंने देखे थे बारिश ओलों ने तोड़ दिए।
खेतों में खड़ी फसल को गर्दन पकड़ मरोड़ दिए।।
भगवान जिसे बेटी देना उसको धन धान्य की कमी ना हो।
बेटी को खुशी से ब्याह सके अरमानों में कोई कमी ना हो।।


विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

11-Apr-2023 07:36 PM

बहुत खूब

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शानदार

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एकदम लाजवाब लिखा आपने

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